Mera Mann Sundar Hindi Kavita
मन बैचैन सा होने लगा है।
शायद दिल में किसि का,
ख्वाब सजने लगा है।
दिल मे कुछ तो ऐसा चल रहा है।
इसलिये शायद ऐसा होने लगा है।
मन को क्यों समझा रहा हूँ अब,
जब दिल किसी का होने लगा है।
किसी पे अपने जान से,
ज्यादा प्यार करने लगा है।
कितना भी समझाये ना समझ पायेगा।
जो मन मे ठान लिया वो करके की रहेगा।
जब दिल टूट जाएगा तो,
खुदको संभल भी ना पायेगा।
फिर खुद ही ठिकाने पर आएगा।
अजब खेल है प्यार का,
किसीकी नहीं सुनता।
जो करें वो भी पछताए।
जो ना करें वो भी पछताए।
करें तो भी क्या करें,
दिल का जो मामला है।
जो भी करे संभल के करे।
एक बार जो गिर जाए।
फिर जिंदगी में ना उठ पाए।
दिल किसी पे भी आ सकता है।
कितना भी पराया क्यों ना हो,
हमेशा अपना ही लगने लगता है।
दिन रात उसीका खयाल रहता है।
आज तक मन को कौन समझ पाया।
मन की गुथी को कौन सुलझा पाया।
ना कोई एक्सपेरिमेंट काम आया।
ना किसी विज्ञान ने कर दिखाया।
ये तो बस अपनी-अपनी सोच है।
किसी के दिल मे खोट रहता है।
कोई नरम दिलवाला रहता है।
कोई आधे में छोड़ देता है।
तो कोई जिंदगी भर निभाता है।
लेखक - आनंद कदम
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